टेमीफ्लू के भरोसे चल रहा जिला अस्पताल और बीआरडी का स्वाइन फ्लू वार्ड
गोरखपुर में स्वाइन फ्लू की आमद के बावजूद स्वास्थ्य विभाग की सजग नजर नहीं आ रहा है। बीआरडी मेडिकल कालेज व जिला अस्पताल में कर्मचारियों को प्रतिरोधक टीका ही नहीं लगा। जबकि दोनों ही जगहों पर विशेष आईसोलेशन वार्ड बनाएं गए हैं। बीआरडी में तो कर्मचारियों को एन-95 मास्क तक मुहैया नहीं कराया गया है।
जिले में स्वाइन फ्लू ने दस्तक दी है। बीते पांच दिनों में पादरी बाजार क्षेत्र में तीन मरीजों में स्वाइन फ्लू के वायरस की पुष्टि हुई। इसके अलावा बड़हलगंज, देवरिया और कुशीनगर के मरीज में इस बीमारी की पुष्टि हुई है। इतना ही नहीं जिले में स्वाइन फ्लू के साथ ही इंफ्लूएंजा के मरीजों की तादाद भी बढ़ने लगी है।
इस बीमारी के प्रकोप से सबसे ज्यादा सहमे बीआरडी मेडिकल कालेज के डॉक्टर व कर्मचारी हैं। वर्ष 2017 में बीआरडी के तीन दर्जन डाक्टर, छात्र, कर्मचारी इस बीमारी के चपेट में आ गए थे। इस वर्ष भी मेडिसिन की ओपीडी में तीन मरीज पहुंचे हैं।
हवा से फैलती है बीमारी
बीआरडी के डॉक्टरों के मुताबिक स्वाइन फ्लू को इंफ्लूएंजा एचवन एनवन वायरस कहते हैं। यह वायरस हवा के जरिए फैलाता है। यह वायरस सांस लेने पर गले और फेफड़े में पहुंचकर उसे संक्रमित करता है। इससे बचाव के लिए जरूरी है कि प्रतिरोधक वैक्सीन लगाई जाए। खासतौर पर स्वाइन फ्लू के मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ को। जिससे कि वह बीमारी की जद से बचे रहें।
बीआरडी में है 12 बेड का आइसोलेशन वार्ड
जिले में स्वाइन फ्लू की दस्तक के बाद शासन ने बीआरडी में 12 बेड का आईसोलेशन वार्ड बनाने का आदेश दिया। वार्ड में तैनात किसी डॉक्टर व कर्मचारी को स्वाइन फ्लू का प्रतिरोधक टीका नहीं लगा है। कालेज प्रशासन ने कर्मचारियों को स्वाइन फ्लू से बचाव करने वाला एन-95 मास्क भी मुहैया नहीं कराया है।
जिला अस्पताल में बस नाम का वार्ड
स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पताल में 10 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनवाया है। यह बस नाम का ही है। वार्ड में तैनात कर्मचारियों की कोई सूची नहीं तैयार की गई है। अस्पताल में टेमीफ्लू तक नहीं थी। सीएमओ ने ड्रग स्टोर से दवाएं मुहैया कराई।
जानलेवा संक्रमक बीमारी है स्वाइन फ्लू
स्वाईन फ्लू संक्रामक बीमारी है। यह एचवन-एनवन वायरस से होता है। इसके लक्षण सर्दी-जुकाम वाले ही होते हैं। सही समय पर इलाज न मिलने पर इससे मरीज की मौत हो जाती है।
गले के लार से होती है जांच
स्वाइन फ्लू के जांच की सुविधा सिर्फ बीआरडी मेडिकल कालेज के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग के वॉयरल डॉयग्नोस्टिक लैब(वीडीआरएल) में है। इस जांच के लिए संदिग्ध मरीज के गले से लार(थ्रोट-स्वाब) का नमूना लिया जाता है। जिसकी जांच के बाद स्वाइन फ्लू की तस्दीक होती है।
इन लोगों को है ज्यादा खतरा
स्वाइन फ्लू सामान्य लोगों की तुलना में बच्चों, गर्भवती महिलाओं, डायबिटीज के मरीज, ह्दय रोगी में होने की आशंका ज्यादा होती है। इसकी मुख्य वजह है इन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता का समान्य लोगों की तुलना में कमजोर होना।
लक्षण
-जुखाम के साथ नाक से पानी आना
-गले में खराश
-आंखे लाल होना
-बुखार आना
-सांस लेने में तकलीफ
-कमजोरी और थकान महसूस होना
सावधानी बरतें
-पुष्टि के बाद मरीज से पांच फिट की दूरी बनाएं
-मरीज को अलग कमरें में रखें
-तौलिया अलग कर दें
-भीड़-भाड़ वाले स्थान पर न निकलें
-हाथ मिलाने से बचें
-मास्क लगाएं
-नाक व मुंह छुने पर साबुन से हाथ धुले
-सर्दी-जुखाम व बुखार आने पर बिना डॉक्टरी सलाह पर दवाएं न लें